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फरीदाबाद : ग्रेटर फरीदाबाद के गांव पलवली में 17 सितंबर की रात हुए सामूहिक हत्याकांड के आरोपियों के परिजनों ने तीन महीने बाद कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच अपने बंद पड़े घरों में प्रवेश किया। उधर पीड़ित पक्ष के लोगों में इस बात को लेकर रोष है। उनका कहना है कि अभी घाव हरे हैं, हत्यारोपियों के परिजनों को थोड़ा सब्र करना चाहिए था। इस तरह से एक बार फिर गांव में तनाव का सा माहौल बन गया है।
ब्राह्मण बाहुल्य गांव पलवली में 17 सितंबर की रात को सरपंच पति बिल्लू पक्ष का चुनावी रंजिश में गांव के श्रीचंद के साथ विवाद हो गया था। इस दौरान एक पक्ष द्वारा की गई फाय¨रग में पांच लोगों श्रीचंद, नवीन, देवेंद्र उर्फ ¨पटू, राजेंद्र और ईश्वर दत्त की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में सरपंच दयावती, उनके पति बिल्लू सहित 26 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। आरोपियों की बाद में गिरफ्तारी भी हो गई थी और सभी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं, एक आरोपी नाबालिग है, जो बाल सुधार गृह में हैं। इस हत्याकांड के बाद तीन महीने से अधिक समय से आरोपियों के बाकी परिजन गांव से बाहर अपने नजदीकी रिश्तेदारों के घरों पर रहे थे। इस दौरान गांव में इनके मकानों पर ताले लगे हुए थे और पुलिस तैनात थी।
मंगलवार को हत्यारोपी पक्ष की तरफ से बिल्लू का चाचा आनंद, आनंद की पत्नी रजोकरी, अन्य महिलाओं में मिथलेश, गीता, सवित्री, बबीता, इमरती व अन्य पुलिस की कड़ी सुरक्षा में जमदग्नि निवास(बिल्लू सरपंच का घर)पहुंचे। महिलाओं ने तीन महीने से बंद पड़े घर के ताले खोल कर साफ सफाई की और अन्य व्यवस्थाएं की। आरोपी परिवारों के दो मकानों के बाहर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।



