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Haryana Voice | ||
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फरीदाबाद: शहर की सरकार का चुनाव हुए एक साल हो गया है। गत वर्ष आठ जनवरी को ही शहर की नई सरकार चुनी गई थी। 8 जनवरी 2017 को नगर निगम चुनाव डेढ़ साल बाद हुए थे। इसलिए तब शहर की जनता ने सोचा था कि अब स्मार्ट सिटी में विकास की रफ्तार तेज होगी मगर पिछले एक साल में नगर निगम सदन की कार्यवाही तीन बैठकों में ही सिमट गई। सत्तारूढ़ दल के पार्षदों को छोड़ दें तो विपक्ष और प्रभावी सत्तारूढ़ दल के नेताओं के गुट से संबंध नहीं रखने वाले पार्षदों को 2 करोड़ रुपये के वार्षिक कोष का भी लाभ नहीं मिला। इतना ही नहीं नई सरकार नगर निगम के लिए फुटटाइम आयुक्त भी नहीं लगवा पाए। 13 फरवरी को जब नए महापौर का चुनाव हुआ तो उस समय निगमायुक्त के रूप में सोनल गोयल ने पदभार संभाला हुआ था मगर उनका भी अगस्त माह में तबादला हो गया। इसके बाद निगमायुक्त का पदभार अतिरिक्त रूप से राज्य के पर्यटन सचिव समीरपाल सरो संभाल रहे हैं।
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-पहली बैठक में मिला था 2 करोड़ रुपये कोष का तोहफा
सदन गठन के बाद पहली बजट बैठक 10 मार्च को हुई। इसमें पार्षदों को 2 करोड़ रुपये वार्षिक का कोष विकास कार्यों के लिए आवंटित किया गया था। पार्षदों में इस बैठक के बाद काफी उत्साह था मगर धीरे-धीरे यह उत्साह उस अपेक्षा पर खरा नहीं उतरा जिससे जनता ने उन्हें चुना था। कई पार्षदों ने तो अवैध निर्माण, अवैध कब्जे, पेयजल किल्लत को लेकर अपने पद से त्यागपत्र देने तक की धमकी दी।



